वृषाली ने थोड़ी बातचीत के बाद गंभीरता से कहा,"भैय्या अगर आप थके हुए नहीं है तो क्या आप हमारे साथ ऊपर चल सकते है?","क्या हो गया?", सरयू ने पूछा,"सारी बात यहाँ नहीं हो सकती।", दिव्या ने कहा,"रास्ता साफ है।", प्रांजली ने इधर-उधर देखकर कहा,हम सब ऊपर गए, वृषाली ने धीरे से कमरे का दरवाज़ा खोला और वहाँ स्तब्ध खड़ी रही फिर कहा,"वो भाग गया-","कैसे?", साक्षी ने भी अंदर जाकर देखा,"पर मैंने उसे कसकर बाँधा था।", प्रांजली ने कहा,"सुबह तक का तो वो यही था।", दिव्या ने कहा,"हाँ, मैंने भी तुम्हारे साथ उसे यहाँ देखा था। आखिर वो भागा कैसे?!", प्रांजली