सावन का फोड़ - 3

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बाढ़ में जन धन सब कुछ गंवाने के बाद कोशिकीपुर गाँव एव आस पास के गांवो में बीमारियों कि महामारी फैल गयी .बाढ़ में अपने परिजनों मवेशियों घर आदि के खोने के बाद बीमारियों कि महामारी से प्रतिदिन कोई न कोई मरता पूरे इलाके में एक तरह का सन्नाटा पसरा हुआ था किसी भी परिवार व्यक्ति को देखने से उसके अन्तर्मन कि वेदना भय एव लाचारी बेचारगी स्प्ष्ट दृष्टिगोचर होती लेकिन कुछ बेहतरी कि आश अब भी कोशिकीपुर एव आस पास के गांव के लोंगो को अपनी माटी से भावनात्मक रूप से जोड़े हुए थी। गांव के लोग बाढ़ में