सावन का फोड़ - 1

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तपती गर्मी लोग परेशान चारो तरफ हाहाकार जेठ कि भयंकर गर्मी भुवन भास्कर का कहर जैसे आग उगल रहे हो पृथ्वी के जल स्रोत सूखते जा रहे थे नगरों एव गांवों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा चुकी थी लू से आए दिन सैकड़ो लोग कालकलवित होते रहे थे शासन प्रशासन के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे थे लोगो का रोष शासन के विरुद्ध बढ़ता ही जा रहा था और प्रशासन विद्युत आपूर्ति नियमित करती तो लू से मरने वालों के कारण स्वस्थ व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह जनता द्वारा खड़ा कर अपने आक्रोश का प्रदर्शन किया जाता।कुल मिलाजुलाकर आम जनता