सन्नाटे में शनाख़्त - भाग 4 (अंतिम भाग)

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भाग -4 “आज भी शाम को इसे ऑफ़िस से लेने गया तो यह बहुत देर से आई, वजह पूछते ही एकदम भड़क गई। रास्ते भर झगड़ती रही, घर पहुँचकर एकदम बिफ़र उठी, हमेशा की तरह मार-पीट पर उतारू हो गई। मैं चुप रहा तब ये शांत हुई। रात को खाने के बाद भी झगड़ा हुआ था। उसके बाद मैं सो गया था।  “अचानक मुझे लगा जैसे कोई मेरी गर्दन कस रहा है, मेरी आँखें खुलीं तो देखा यह अपने दुपट्टे से मेरा गला कस रही थी। मैं किसी तरह ख़ुद को छुड़ा पाया। अपने को बचाने के चक्कर में ही