फागुन के मौसम - भाग 37

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शाम में जब राघव जानकी के घर पर आया तब तारा को भी यहीं देखकर वो एक पल के लिए सकपका सा गया लेकिन फिर अगले ही पल सहज होते हुए उसने कहा कि उसे विशेष रूप से लीजा और मार्क के कहने पर यहाँ आना पड़ा।"हाँ तो अच्छी बात है न। तुम मुझे सफाई क्यों दे रहे हो? वो हमारे देश के मेहमान हैं तो हमें उनकी खातिरदारी करनी ही चाहिए।" तारा की बात सुनकर राघव हल्के से मुस्कुरा दिया।जब जानकी कमरे से बाहर आयी तब राघव ने उससे लीजा और मार्क को बुलाने के लिए कहा।"बुलाने की ज़रूरत