शिव और अजय ने रति को ओंकारेश्वर के हर मन्दिर में तलाशा, पर उन्हें रति कहीं नही मिली। थककर शिव नर्मदा नदी के किनारे एक घाट पर आकर बैठ गया। तभी अजय दो दोने लेकर वहां आया और शिव की बगल में आकर बैठ गया। उसने एक दोना उसकी ओर बढ़ाया और बोला- ये लीजिए, पोहे-जलेबी खाइए शिव।"भूख नही है मुझे अजय"- शिव नदी की ओर देखकर बोला। अजय ये सुनकर परेशान हो गया, पर फिर उसने मुस्कुराने की कोशिश की और बोला- सुबह चार बजे से हम सारे शहर में भटक रहे है शिव। नाश्ता किए बिना ही घर