बेचारा लेखक सीजन 2 एक दिन में अपनी कुटिया में बैठकर साहित्य सृजन कर रहा था। अचानक सामने सुनहरे कलर का एक यान उतरा। उसमें से वही लड़की बाहर निकली। वह लड़की असल में उस ग्रह की राजकुमारी थी। इतने सालों के बाद भी राजकुमारी की ज्यों की त्यो जवान थी। राजकुमारी तुरंत अपने अंगरक्षकों के साथ मेरी कुटिया में आई। प्रिय पाठको इससे पहले की कहानी जानने के लिए मेरी रचना बेचारा लेखक सीजन 1जरूर पढ़िए। राजकुमारी का सुंदर मुखड़ा खुशी से भरा हुआ था। मेरी कुटिया में आते ही उसने मुझे प्रणाम किया। मैंने भी नमस्कार का जवाब