गुलकंद - पार्ट 9

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गुलकंद पार्ट - 9 इस दो बित्ते के फ्लैट में कोई भी बात किसी से छिपती नहीं है। अचानक वीरेश की नजर पड़ी, बालकनी के कोने में उदास बैठी अन्नी के गले में बाँहें डाले प्रांशु उसके गले लग, गालों को चूम, उसे मनाने में लगा था। पता नहीं क्यों आज उनके मध्य होने वाली बातों को सुनने का लोभ संवरण नहीं हो सका और वह चुपचाप साथ वाले कमरे में आकर लेट गया! "इतना टेंशन बर्दाश्त नहीं होता बेटा! अब मुझे यह घर अपना जैसा लगता ही नहीं!" अनीता सिसक-सिसक कर कह रही थी। "मैं पापा से बात करूँगा