आशा अपने दोस्तों के साथ में गुड़िया से खेल रही थी।"आशा! जल्दी से मैरे पास आओ, बड़ी दीदी के घर चलना है। वहाँ पर कार्यक्रम है। तैयार हो जाओ।"मां ने प्यार से समझाया।"नहीं मुझे कहीं नहीं जाना है। मैं तो अभी गुड़िया से खेलूंगी।"आशा बोली।"ऐसे ज़िद नहीं करते हैं। मैं तुमको घर में अकेले छोड़कर नहीं जाऊँगी! साथ में चलो,...पापा ऑफिस से वहाँ आ जाएँगे।"माँ ने कहाँ। तैयार हो करके, माँ के साथ आशा बहन के घर कार्यक्रम में पहुँची। मन गुड़िया में ही अटक कर रह गया था। "मुझे! गुड़िया से खेलना है। आप तो सब से बात कर