सितम्बर का दूसरा शनिवार है। माँ और बाबूजी के कमरे में बिस्तर के बगल में बैठी बहन माँ से कह रही है, ’’इस मालिश और व्यायाम से आप बहुत जल्दी फिर से पहले की तरह नहाने लगेंगी, खाना बनाने लगेंगी।’’ इस वर्ष की जनवरी माँ को बिस्तर पकड़ा गई है, बाबूजी को नया जीवन-लक्ष्य तथा बहन को पुत्री-सुलभ अपने मातृ-प्रेम का प्रदर्शन करने का नया माध्यम। अपने इस नए जीवन-लक्ष्य के अन्तर्गत बाबूजी रोज़ की तरह माँ के रोग-ग्रस्त बाएँ भाग में औषधीय उस तेल की मालिश कर रहे हैं जिसे माँ के फ़िज़ियोथैरपिस्ट ने कुछ विशिष्ट व्यायाम के साथ