सपने बुनते हुए - 1

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1. सपने बुनते हुएकभी सुना था उसने सपने मर जाने से मर जाता है समाज आज सपने बुनते हुए भावी समाज के वह बुदबुदाया'चोर को चोर कहना ही काफी नहीं है'दो बार और फुसफुसाकर कहा पर तीसरी बार उसने हाँक लगा दी'चोर को चोर कहना ही काफी नहीं है।'तभी एक व्यक्ति दौड़कर आया'क्या कहोगे मित्र?किसी चोर को क्या कहोगे ? सांसद विधायक अधिकारी या और कुछ।"'कौन हो तुम ?'उसी रौ में वह गरज उठा 'गरजो नहीं, मैं एक चोर हूँमुझे क्या कहोगे?चोर को चोर कहनासचमुच उसका अपमान करना है।'उस ने सुना या नहीं पर चौथी हाँक लगा दी गिर पड़ा