पथरीले कंटीले रास्ते - 18

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पथरीले कंटीले रास्ते    18   बग्गा सिंह पिछले दस दिन से गवाह जुटाने के लिए कोशिश कर रहा था पर इकबाल सिंह का आतंक बिना कहे ही इतना था कि कोई भी गवाही के लिए तैयार नहीं हो रहा था । जिससे भी बात की जाती , वही कहता कि उसने कुछ नहीं देखा । उसे तो पता ही नहीं चला कि कब कितना बङा कांड हो गया । वह तो जब सारे लोग दुकानों से निकल निकल कर बस अड्डे की ओर भागे तब वह भी देखने गया था । वहाँ पर खून में लथपथ शैंकी सङक पर