दूसरे के जीवन में घुसपैठ कामना बड़ी जिद्दी लड़की थी। वह बचपन से ही ऐसी थी, कोई चीज चाहिए तो बस चाहिए, जब तक नहीं मिलती रोती रहती और मुंह फुलाकर बैठी रहती। हर बार पिता को उसकी जिद्द पूरी करनी पड़ती। उसकी सहेली के पास बैटरी से चलनेवाली कार थी। ‘मुझे भी यही चाहिए’ पिता ने वैसी ही कार लाकर दी फिर भी नहीं मानी। ‘मुझे वो ही कार चाहिए’ आखिर पिता ने नई कार उसकी सहेली को दी और उससे उसकी कार लेकर बेटी को दी तब जाकर शांत हुई। कामना अवनी की अंतरंग मित्र थी