उजाले की ओर –संस्मरण

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स्नेहिल नमस्कार मित्रों बहस हो गई उस दिन मित्रों के बीच और जीवन की परिभाषा के बारे में चर्चा होने लगी| उसी चर्चा के कुछ अंश पाठक मित्रों के साथ साझा करने की इच्छा हुई | हमारी सारी बातें जीवन से जुड़ी रहती हैं क्योंकि हम इस जीवन के उतार-चढ़ावों को देखते हैं| हमें लगताहै कि जीवन एक ही सड़क पर नाक की सीध पर चलता रहता है परंतु ऐसा कहाँ होता है मित्रों | जीवन की सतह पर चलने के लिए उसे केवल पढ़ा जाना ही नहीं होता, उसके साथ करनी होती है एक यात्रा, कभी मन की सतह