भाग -2 सकीना के दिमाग़ में एक बार यह बात भी आई कि गाड़ी से चला था, कहीं रास्ते में कोई अनहोनी तो नहीं हुई, किसी ने उसे नुक़्सान पहुँचाया और मुझे यहाँ लाकर फेंक दिया। फिर सोचा कि नहीं, ऐसा कैसे होगा, कोई अगर उसे नुक़्सान पहुँचाता, तो मुझे भी पहुँचाता, मुझे इतनी दूर लाकर फेंकने की ज़हमत क्यों उठाता। कोई अनहोनी होती तो चोट-चपेट मुझे भी तो आती न। वह यह सोचकर ही फफक कर रो पड़ी कि उसके शौहर का बनवाया उसका इतना बड़ा घर, लेकिन बाहर सड़क पर किसी ने उसे ग़रीब भिखारी आदि समझकर दया