भाग 25“प्रीति! बहुत खुशी हुई तुझे इतने सालों बाद देखकर!” कविता ने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा। प्रीति भी मुस्कुराती हुई आगे बढ़ी और कविता को गले लगाती हुई बोली, “मुझे भी तुझे देख कर बहुत खुशी हो रही है। आज सालों बाद अपने कॉलेज की किसी सहेली से मिल रही हूँ।” “वैसे प्रीति, तेरा घर तो बहुत आलीशान है! क्या शान है तेरी! नौकर-चाकर, गाड़ी, बंगला! मैं बहुत खुश हूँ तेरे लिए।” कविता ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा। “आ बैठ यार! बता क्या लेगी?” प्रीति ने उसे प्यार से अपने आलीशान सोफे पर बैठाते हुए कहा। “तेरे