फागुन के मौसम - भाग 27

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सुबह के साढ़े चार बज रहे थे जब राघव के मोबाइल की घंटी बजी। उसने हड़बड़ाते हुए मोबाइल उठाकर देखा तो उसकी स्क्रीन पर जानकी का नाम फ़्लैश हो रहा था। "हाँ जानकी, क्या हुआ? सब ठीक तो है?" राघव की आवाज़ में घबराहट महसूस करके जानकी को हँसी आ गयी। बमुश्किल अपनी हँसी रोकते हुए उसने कहा, "यस बॉस, सब ठीक है। बस आप उठकर जल्दी से तैयार हो जाइये क्योंकि हमें अपनी ड्यूटी पर निकलना है।" "इतनी सुबह? कम से कम सूरज चाचू को तो जागने दो।" "जब तक हम रिसॉर्ट से निकलेंगे वो भी जाग जायेंगे। बस