रुबिका के दायरे - भाग 1

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भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव “यह तो चाँस की बात थी कि शाहीन बाग़ साज़िश में हम-दोनों जेल जाने से बच गई और टाइम रहते अबॉर्शन करवा लिया, नहीं तो हम भी आज आरफा जरगर की तरह किसी अनाम बाप के बच्चे को लेकर दुनिया से मुँह छुपाती फिर रही होती। आज कौन है जो आरफा को मदद कर रहा है। मदद के नाम पर भी उस बेचारी को अपनों ने ही ठगा। कहने को वह ख़ानदान का ही लड़का था, बड़े तपाक से सामने आया कि बच्चे को मैं दूँगा अपना नाम। झट से निकाह कर लिया, साल भर यूज़