साँसत में काँटे - भाग 3

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भाग -3 उसके अब्बा ने कहा, “हमारा परिवार पाँचों वक़्त का नमाज़ी है। अल्लाह के ही बताए रास्ते पर चलता है, मज़हब के लिए ख़ानदान के कई लोग अपनी क़ुर्बानी दे चुके हैं।” लेकिन दहशतगर्द अपनी ही बात करते रहे, उनके हिसाब से पाँचों वक़्त की नमाज़ अदा करना ही पूरा मुसलमान होना नहीं है। उन्होंने बार-बार क़ुरान के पारा दस, सूरा नौ, तौबा आयत पाँच की इस बात, “अतः जब हराम (वर्जित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों (बहुदेववादियों) को क़त्ल करो जहाँ पाओ और उन्हें पकड़ो और घेरो और हर घात में उनकी ख़बर लेने की लिए बैठो। फिर