दुश्मन

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समाज सुधारक राजा राममोहन राॅय जी की तरह अगर पूरा देश सोच तो…. “बस बस अपना भाषण बंद करो आपका भाषण गांव के कुत्ते भी नहीं सुन रहे हैं, वह भी एक हड्डी के लिए आपस में युद्ध कर रहे हैं, कुर्सियां दरी (फर्श) सब खाली हो गए हैं, गांव के बुजुर्ग जवान महिलाएं बच्चे सब कीचक द्रोपती की नौटंकी देखने भाग गए हैं, आप आंखों से तो अंधे हो अब मुझे लग रहा है, आप अक्ल से भी अंधे हो गए हो जो पूर्वजों की धन दौलत समाज सुधार के कार्यों में खर्च किए जा रहे हो आज शाम