फागुन के मौसम - भाग 25

  • 2k
  • 921

अपनी आदत के अनुसार सुबह ब्रह्म-मुहूर्त में उठकर जानकी नृत्य अभ्यास कर रही थी लेकिन आज उसका ध्यान एक बार फिर नृत्य पर एकाग्र न होकर घड़ी की तरफ था। उसकी इस मनोदशा को भाँपते हुए लीजा ने कहा, "ऐसा लगता है तुम सचमुच प्यार-मोहब्बत के चक्करों में उलझकर अपनी राह से भटकने लगी हो।" मार्क ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए जानकी से कहा, "अगर बड़ी मैडम को ये बात पता चली तो वो बहुत नाराज़ होंगी और उनका नाराज़ होना जायज़ भी है। तुम्हें अपनी असली पहचान बिल्कुल नहीं भूलनी चाहिए।" अपनी गलती स्वीकार करते हुए