पुस्तक समीक्षा - गीत सागर

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शिक्षक/कवि राम रतन यादव की प्रशंसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं हैं, फिर भी अपने पहले काव्य संग्रह को बेटी के नाम को ज्योतिमय करते हुए उन्होंने समाज को बड़ा संदेश देने के बाद जैसे अपनी सृजन क्षमता का लोहा मनवाने की ठान बैठे रतन जी अपने दूसरे काव्य संग्रह के साथ अपनी धारदार, जीवंत लेखनी के साथ गीत सागर के साथ उपस्थित हैं। अपनी मातृदेवी छुटकी देवी और पितृदेव श्रीराम यादव जी के श्री चरणों में समर्पित प्रस्तुत काव्य संग्रह की भूमिका में अध्यक्ष संस्कार भारती बरेली आ. हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष जी ने लिखा है कि हिंदी की