भारत की रचना - 9

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भारत की रचना / धारावाहिक नवां भाग कॉलेज लग रहा था. सारे विद्द्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में बैठे हुए अध्ययन कर रहे थे. कॉलेज के प्रांगण में चारों तरफ मौन छाया हुआ था. कुछेक मनचले और शरारती विद्द्यार्थी अपनी कक्षाओं में न होकर कॉलेज के बाग़-बगीचों में बैठी हुई छात्राओं को ताक रहे थे. कभी-कभार उनकी हंसी का कोई ठहाका, क्षण भर में ही कॉलेज की सारी शान्ति का कान मरोड़कर रख देता था. जिन विद्द्यार्थियों व छात्राओं की कक्षाएं खाली थीं, वे भी अपनी कक्षाओं में न होकर, वृक्षों, और झुरमुटों की आड़ में बैठे हुए वार्तालाप में मग्न थे.