रात में मुझे बहुत अजीब सपना आया। मैंने सुना है सुबह के सपने सच होते हैं। मैं सपनों में डर गया था। आपने अक्सर अपने आस-पास के लोगों को ऐसा ही कुछ कहते हुए सुना होगा। दरअसल सपनों का मनोविज्ञान हमेशा से इंसानों के लिए कौतूहल का विषय रहा है। दार्शनिक, वैज्ञानिक और मनोचिकित्सक सभी ने सपनों की व्याख्या अलग-अलग तरह से की है ।यूनान के दार्शनिक हिप्पोक्रेटस का मानना था कि सोने के बाद आत्मा शरीर से बाहर निकलकर यहां-वहां घूमती है और बाद में शरीर में प्रवेश कर जाती है। उस समय शरीर कोमा की स्थिति में होता