खुशी का राज

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कालिया झूठ भी दिल से बोलता था इसलिए उसका झूठ भी इंसानों को नहीं बल्कि पशु पक्षियों को भी सच लगता था, वह शाकाहारी पशुओं के सामने थोड़ा सा चारा डालकर मांसाहारी पशुओं के सामने मांस का टुकड़ा डालकर पक्षियों के सामने दाना डालकर उनको अपना झूठा प्यार दिखा कर उन्हें अपने वश में कर लेता था, जवान बुजुर्गों बच्चों को अपनी मीठी-मीठी झूठी बातें के जाल में फसा कर ठग लेता था।लेकिन यह कार्य वह चुड़ैल जैसे एक घर छोड़कर करता था यानी कि अपने गांव को छोड़कर दूसरे गांवों कस्बों शहरों में इसलिए पूरा गांव समझ नहीं पता