लौट आओ अमारा - भाग 8

  • 1.9k
  • 868

इंस्पेक्टर रंजीत कुलगुरु की चेतावनी अनुसार जंगल की सीमा पर ही रुक गए थे।रात का घुप्प अँधेरा, रह-रहकर आती हुई जंगली जानवरों की भयानक आवाज़ें भी आज पायल और संजीव को डराकर उनके कदम रोकने में नाकाम साबित हो रही थीं।पायल ने कुलगुरु की दी हुई माचिस की तीली बैग से निकाली।बाहर आते ही वो तीली अपने आप जल उठी। पायल और संजीव ने देखा उसकी लौ एक जगह स्थिर थी और उससे पानी की बूँदें रिसकर मानों ज़मीन पर कोई रास्ता बना रही थी।संजीव और पायल समझ गए कि तीली उन्हें रास्ता दिखा रही थी।तीली से रिसती हुई पानी