उजाले की ओर –संस्मरण

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=================== नमस्कार मित्रो आशा है सब भीषण गर्मी से ख़ुद को बचा रहे हैं। नंदिनी बड़ी बुद्धिजीवी व स्वाभिमानी लड़की है। इधर न जाने क्यों वह कुछ दिनों से उदास रहने लगी है। काम में भी उसका मन नहीं लगता। उसकी मम्मी को अब उसकी चिंता होने लगी है। उन्होंने बताया कि वह एक दो साक्षात्कार में असफ़ल क्या हो गई बिलकुल ही उदास हो गई है। मैंने उसे अपने पास बुलाया और उदासी का कारण पूछा तो वह रोने लगी। " दीदी! मेरा भाग्य ही ख़राब है, जहाँ जाती हूँ वहीं सिलेक्शन नहीं हो पाता।" कई बार हम दुर्भाग्य