सलीमा की जब शादी हुई तो वो इक्कीस बरस की थी , पांच बरस हो गए लेकिन उसके औलाद न हुई उसकी मां और सास को बहुत फिक्र थी । मां को ज्यादा फिक्र थी , इसलिए कि वो सोचती , कहीं सलीमा का पति नजीब दूसरी शादी ना कर ले। कई डाक्टरों से राय–मशवरा भी किया गया , लेकिन कोई बात ना बनी । एक दिन उसकी एक सहेली जो बांझ करार दे दी गई थी उसके पास आई सलीमा को बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उसकी गोद में एक गुलगूथना–सा लड़का था । _____________Scene –1______________ सलीमा :– फातमा