हक है सिर्फ मेरा - 3

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अगली सुबह ; आहुति जेसे ही अपने घर से बाहर जाने लगती है वैसे ही विश जी रोकते हुए : ए लड़की .... सुबह सुबह कहा जा रही है अब ! आहुति जेसे ही घर से बाहर कदम रखने लगती है तो उसे विष जी की आवाज सुनाई देती है अगले ही पल वो गुस्से से चिढ़ते हुए विष जी की तरफ देखती है : आपको पता है जैसा आपका नाम है ना वैसी ही आपकी जुबान है । मै जब भी कोई काम करने जाति हू और जो आप टोकती है ना पीछे से उस दिन सारे काम मेरे