अमावस्या में खिला चाँद - 21 (अंतिम भाग)

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- 21 -         ‘उठाले’ से एक दिन पूर्व मुक्ता को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। ‘उठाले’ की रस्म पूरी होने के बाद सुबह से शाम तक के लिए एक नौकरानी का प्रबन्ध करके शीतल ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी। एक तो ऑपरेशन के बाद मुक्ता वाकर के बिना चल-फिर नहीं सकती थी, दूसरे घर के सारे कामकाज नौकरानी ने सँभाल लिए थे, इसलिए मुक्ता सारा दिन ख़ाली बैठी कान्हा के बारे में ही सोचती रहती। मुरलीधर बहुत समझाते कि जो होना था, सो हो गया। कान्हा का हमारे साथ इतना ही सम्बन्ध था।