उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 28

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भाग 28 मेरे बार-बार हँस पड़ने का कारण यह था कि अनिमा ने परिस्थिति ही ऐसी बना दी थी। वह साफ-साफ कुछ बता भी नही रही थी और अपनी बात भी बताना चाह रही थी। वैसे भी अनिमा मेरी घनिष्ठ मित्र है। उसके साथ हास-परिहास चलता रहता है। " प्रेमी...? वो भी मेरा....? उम्र देखी है उसकी...? मुझसे बहुत छोटा है उम्र में वो और मुझसे कहीं अधिक आकर्षक। " अनिमा ने तुरन्त स्थिति इस प्रकार स्पष्ट कर रही थी, जैसे मैं उसे उसका प्रेमी ही न बना दूँ। " अरे भई, कुछ नही। मैं यूँ ही परिहास कर रही