उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 24

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भाग 24 बहुत दिनों के पश्चात् राजेश्वर का फोन आया था। उसे अच्छा लगा कि राजेश्वर इतना स्वस्थ को गया है कि कम से कम अब फोन तो कर सकता है। अन्यथा उसने तो सुना था कि वो बिस्तर से उठने व चलने-फिरने तक में असमर्थ हो गया है। फोन उठा कर वह बात करने को तत्पर ही हुई कि उधर से राजेश्वर के स्थान पर किसी स्त्री के स्वर सुन कर वह विस्मित् हो गयी। " हलो.....हलो....! आप शालिनी दीदी बोल रही हैं क्या...? " " हाँ......बोल रही हूँ...। उसने धीरे से कहा। " मैं उनकी.....राजेश्वर जी की पत्नी