उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 23

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भाग 23 म्हिलाएँ घुटनों तक पानी में उतर कर सूर्यदेव को अर्पण के लिए प्रसाद के रूप में थोड़ी-थोड़ी वस्तुयें सुपली में लेकर डूबते सूर्य की पूजा करती हैं। उस समय अस्ताचलगामी सूर्य की सुनहरी किरणें सृष्टि पर अद्भुत सौन्दर्य बिखेरतीं है। मनोहर कार्तिक माह अपनी मनोहारी छटा के साथ उपस्थित रहता है। नदी के जल में उतर कर अर्घ देती महिलायें और अस्ताचलगामी सूर्य की किरणें नदियों तालाबों के घाटों पर इन्द्रधनुषी छटा बिखेर देतीं। घाटों से लौट कर व्रती महिलायें घर में कोसी भरने की तैयारी करतीं। कोसी भरना छठ पर्व का महत्वपूर्ण भाग है। कोसी मिट्टी का