उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 7

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भाग 7 यही तो हमारे समाज की परम्परा है। यही तो शिक्षा देता है हमारा समाज? हमारे माता- पिता भी तो बचपन से यही बात स्मरण कराते रहते हैं कि तुम लड़की हो, तुम्हें तोे व्याह कर एक दिन अपने घर जाना है। माता-पिता के घर को अपना घर मानने नही दिया जाता। बार-बार किसी नये दूसरे घर को अपना घर मानने की सीख दी जाती। जिस प्रकार जमीन पर लगे किसी पौधे को वहाँ से उखाड़कर किसी दूसरे स्थान पर, दूसरे वातावरण में लगा दिया जाये। बहुधा ऐसे पौधे मुरझा जाते हैं। कभी-कभी सूख भी जाते हैं। कुछ ऐसा