उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 5

  • 492
  • 213

भाग 5 उस समय के पडरौना से अब का पडरौना भिन्न हो चुका है। अब यहाँ उतनी कट्टरता से जातिप्रथा दिखाई नही देती। शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ, विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के साथ चीजें परिवर्तित हो रही है। यहाँ के भी युवा अब बड़े शहरों के प्रबन्धन संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मल्टीनेशनल कम्पनियों में काम कर रहे हैं। सबसे बढ़कर अच्छी बात ये है कि जाति को अनदेखा करते हुए अपनी पसन्द के साथी से प्रेम विवाह भी कर रहे हैं। अब उस विवाह को घर वाले स्वीकार भी कर रहे हैं। आज दलितों का दक्खिनी