उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 3

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भाग 3 इस वर्ष मैं दसवीं की व दीदी बारहवीं की परीक्षा दे रही थी। हम दोनों की इस वर्ष बोर्ड की परीक्षायें थीं। मेरे मन में बोर्ड परीक्षा को लेकर थोड़ा डर था। मैं कहूँ तो थोड़ा नही मैं बोर्ड परीक्षा से बहुत डर रही थी। मन में हमेशा फेल हो जाने का भय बना रहता। इसीलिए मैं मन लगाकर पढ़ने के साथ-साथ पढ़ाई पर अधिक समय भी दे रही थी। किन्तु ऐसा प्रतीत होता जैसे मुझे कुछ याद नही हो रहा है, न समझ में आ रहा है। ऐसा इसलिए था कि परीक्षा को लकर मेरे मन में