तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया फिल्म रिव्यू

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तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया फिल्म रिव्यू फिल्म के नाम में ही उलझना लिखा है तो बस उलझ जाओ इस फिल्म की कहानी में। इस कॉन्सेप्ट को हिन्दी सिनेमा देखने वाले आसानी से डाइजेस्ट नहीं कर पाते क्यूंकी हमें मसाला और मस्ती चाहिए, यहाँ थोड़ा अलग टेस्ट है , मस्ती है पर मसाला सामान्य व्यक्ति की समझ से एक टेबल स्पून अधिक है । फिल्म एमेज़ोंन प्राइम पर है, अब घर तक या गई है तो देख लीजिए, इतनी भी बुरी नहीं है । कहानी समझने से पहले समझते हैं मनोविज्ञान। आज कल लड़के और लड़कियां शादी करने से