पथरीले कंटीले रास्ते - 13

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  पथरीले कंटीले रास्ते  13 बैरक की साफ सफाई निपट चुकी थी । रविंद्र और नरेश आपस में बातें कर रहे थे । नरेश ने अपने अतीत के बारे में बताना शुरू किया ही था कि कैसे हालात से मजबूर होकर एक साधारण सीधा सादा आदमी चोर बन गया । रविंद्र उसके बारे में और विस्तार से जानना चाहता था कि घंटा दूसरी बार बजा । अचानक अलग अलग दिशाओं से कैदी लपकते हुए आते दिखाई दिये । सब हङबङी में थे । लगभग भागते हुए सारे कैदी जल्दी से जल्दी मेस में पहुँच जाना चाहते थे । कुछ नलके