पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पुरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते । पंडित जी के पास एक अदद झोपडी कि तरह घर था खेती बारी भी नहीं थी पंडित जी के परिवार कि परिवरिस आकाश बृत्ति से चलती थी पंडित जी के यजमानो के दान दक्षिणा से परिवार का भरण पोषण होता ।पंडित के बच्चे भी पंडित जी के पुश्तैनी कार्य में हाथ बटाते पंडित जी ने अपने बेटों को बचपन से ही पांडित्य कर्म कि शिक्षा दी थी