आनन्द की विशिष्ट अवस्था 'मृत्यु' "मृत्यु की कल्पना भी जहाँ कष्टकारी है वहीं मृत व्यक्ति के लिए मृत्यु दीर्घकालीन आनन्द की अवस्था है। जीवितों के लिए जहाँ मृत्यु अमावस्या का स्याह अंधकार है वहीं मृत के लिए पूर्णिमा का प्रकाश। "देखिए जाने इन्हें क्या हो गया, अभी थाडी देर पहले तक तो हँस-बोल रहे थे, अब शांत है, कोई उत्तर नहीं। यह शान्ति आनन्द की है। अनन्तकाल तक चलने वाला आनन्द। जब वो वाक कहते थे तब उनसे अवाक रहने को कहते थे, आज जब वो खामोश हैं, शांत हैं, अब शांति की सीमाओं के परे आने की प्रार्थना कर