शतरंज की बिसात - भाग 2

  • 2.5k
  • 1.2k

"हम्म फिर क्या हुआ?" "मैंने कई बार कमरे का दरवाजा खटखटाया लेकिन ना दरवाजा खुला और ना किसी तरह की आहट सुनाई दी। फिर मैंने उन दोनों के मोबाइल पर फोन किया लेकिन घँटी बजती रही और कोई जवाब नहीं मिला। तब मैंने घबराकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और फिर बिस्तर पर उनकी स्थिति देखकर ही समझ गया कि कुछ अनहोनी हो चुकी है। फिर मैंने पुलिस को ख़बर करना ही ठीक समझा।" "ये बिल्कुल ठीक किया तुमने। अच्छा एक बात बताओ इतने बड़े बँगले में कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं है?" "नहीं साहब। दरअसल हमारे साहब को फिजूलखर्ची से बहुत