मन के उस पार

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नीलम कुलश्रेष्ठ  उनके दिल की धड़कन अचानक तेज हो गयी। सारे शरीर में अजीब-सी झनझनाहट होने लगी । माथे पर उत्तेजना के कारण कुछ बूंदें उभर आयीं थीं। प्रसन्नता के आवेग को वे अपने में समो नहीं पा रहे थे । रातें जाग-जाग कर बिताये गये तमाम क्षण सजीव हो उठे थे। अख़बारों के मुखपृष्ठ पर छपे उनके चित्र, इंटरव्यू, प्रेस कॉन्फ़्रेंन्स और भी न जाने कितना सम्मान और यश । अब यह सब दूर नहीं था।  कहीं कोई कमी तो नहीं रह गयी ? वे एक बार सिहर उठे। नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है, उठकर उन्होंने एक बार