उधर सतरुपा फार्महाउस में कैद थी और इधर दिव्यजीत सिंघानिया हड़बड़ाया सा अपने विला पहुँचा और उसने अपनी माँ शैलजा को पुकारते हुए कहा.... "माँ...माँ..." "क्या बात है बेटा तू इतना घबराया हुआ सा क्यों हैं?",शैलजा ने पूछा... "माँ! क्या देविका घर आ गई",दिव्यजीत ने पूछा... "ये क्या कह रहा है तू! वो तो तेरे साथ गई थी तो तेरे साथ ही वापस आऐगी ना!",शैलजा बोली... "नहीं! माँ! वो मेरे साथ वापस नहीं आई",दिव्यजीत बोला... "क्या कहा....वो तेरे साथ वापस नहीं आई तो कहाँ गई",शैलजा बोली... "वही तो नहीं मालूम माँ कि वो कहाँ गई",दिव्यजीत बोला... "तू कहना क्या चाहता