अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(२०)

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शाम ढ़ल चुकी थी और सतरुपा अब सिंघानिया विला पहुँच चुकी थी,वो विला के भीतर घुसी ही थी कि तभी दिव्यजीत सिंघानिया कहीं जाने के लिए तैयार खड़ा था,फिर वो उसके पास आकर बोला.... "तुम आ गई देवू डार्लिंग! कहाँ गईं थीं", "जी! माँल गई थी",देविका बनी सतरुपा बोली.... "लेकिन लगता है शाँपिंग नहीं की तुमने वहाँ,क्योंकि हाथ में तो कुछ भी नहीं है",दिव्यजीत सिंघानिया बोला... "हाँ! कुछ पसंद ही नहीं आया,बस यूँ ही घूमकर वापस चली आई",देविका बनी सतरुपा बोली... "ठीक है कोई बात नहीं,चलो अपने कमरे में जाकर आराम करो,मैं भी थोड़ी देर में निकलूँगा,अगर मैं चला जाऊँ