युक्तिवाद

  • 2.2k
  • 753

अशोक गुजराती निशीथ के पिताजी नगर के सम्मानित व्यक्ति थे. वे आरडीजी महिला महाविद्यालय की प्रबंधन समिति के वरिष्ठ सदस्य थे. उस कालेज में हिन्दी की प्राध्यापिका का पद रिक्त था. उसके लिए अनु का आवेदन लगा दिया गया. सीताबाई कला महाविद्यालय में शाम को लॉ के क्लासेस चलते थे. अंजल ने वहां द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले लिया. समय अब तेज़ी से गुज़रने लगा. उभय प्रेमी अपनी धुन में विभोर थे. नूतन सांसारिक गतिविधियां तो थीं ही, मानसिक एवं दैहिक प्यार के अनजाने रहस्य उन नवोदितों को एक अलग ही आनंद में डुबोये हुए थे. नया परिवेश, नये परिचय,