सोने के कंगन - भाग - १० (अंतिम भाग)

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अब तक रजत के मॉम डैड घर आ चुके थे और यह सारिका और रजत को नहीं पता था। जब सारिका रजत को समझा रही थी तब उसने कहा, “तुम सही कह रही हो सारिका अब तो इस मुसीबत का अंत आ जाना चाहिए बस मॉम डैड मान जाएं …!” तभी रजत की मॉम की आवाज़ आई, “मानेंगे क्यों नहीं … जिस घर में इतनी सुशील, गृह लक्ष्मी का गृह प्रवेश हुआ हो; उसकी बात मानेंगे क्यों नहीं?” इस तरह कहते हुए वह अंदर आ गईं। दरवाज़ा तो केवल उड़का हुआ ही था, उनके साथ रजत के डैड भी थे।