उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर - - - संस्मरण =================== नमस्कार मित्रो आशा है सब स्वस्थ वआनंदित हैं । निम्न लिखित लेख कहीं पढ़ा था जो सार्थक व उपयोगी लगा | आज वही मित्रों के साथ साझा करगती हूँ | बहुत दिनों की बात है एक छोटे से शहर में एक आईएएस अफसर अपने परिवार सहित रहने के लिये आये, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुये थे। यहाँ आकर अफसर हैरान-परेशान से रोज शाम को अपने घर के नज़दीक के एक पार्क में टहलते हुए अन्य लोगों को देखते हुए उधर से निकलकर आगे निकल जाते। वह किसी से भी बात करना