कर्म से तपोवन तक - भाग 10

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अध्याय 10 गालव और माधवी संग-संग वन वीथिकाओं में चल रहे थे। किंतु अपनी इस यात्रा में गालव ने न तो माधवी का हाथ पकड़ा और न एकांत पाकर उसे गले लगाया । वह विचारों की तीव्र आंधियों से दो चार हो रहा था। उसकी मनः स्थिति एक लुटे हुए यात्री जैसी थी जिसने मेले में अपनी पसंद का बहुत कुछ पा लिया था लेकिन अचानक सब कुछ उसके हाथ से छिन गया। वह उन घड़ियों को याद कर रहा था।  जब वह 600 अश्वों को एकत्रित कर विश्वामित्र के आश्रम की ओर आ रहा था। वन के सघन वृक्षों