कर्म से तपोवन तक - भाग 6

  • 1.6k
  • 648

अध्याय 6 भोजनगर के राजमहल से आती भैरवी की तान और प्रातः वंदन के मधुर स्वरों ने गालव और माधवी को प्रसन्नता से भर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने राज महल की ओर कदम बढ़ाए।  भोजनगर का राजा उशीनर सत्य, पराक्रमी और अपनी प्रजा के प्रति बहुत स्नेह शील था। पूजा पाठ से निवृत्त हो अल्पाहार के पश्चात उसने राज्य सभा की ओर प्रस्थान किया। सभी सभासदों ने उसकी जय जयकार करते हुए उसका सत्कार किया । उशीनर के सिंहासन ग्रहण करने के पश्चात सभी अपने अपने आसन पर बैठ गए। गालव माधवी को द्वार पर आया देख सेवक ने सूचना दी-"