कर्म से तपोवन तक - भाग 1

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कथा माधवी गालव की संतोष श्रीवास्तव   माधवी को लिखना मेरे लिए चुनौती था **************** माधवी के बारे में लिखते हुए मैं स्त्री को जी रही थी। स्त्री के अनदेखे पहलुओं को जी रही थी। उसके दुर्भाग्य को जी रही थी । हां, मैं इन स्थितियों को नकार सकती थी किंतु नकारने की कोशिश में मेरी कलम ने उठने से इनकार कर दिया था। तो क्या धरती, आकाश, पाताल संपूर्ण ब्रह्मांड यह चाहता था कि मैं माधवी को लिखूँ जबकि माधवी पर विपुल साहित्य लिखा गया। उपन्यास, नाटक, खंडकाव्य कोई भी विधा नहीं छूटी माधवी वृत्तान्त से । उन्हीं प्रसंगों